शाश्वत जीवन मूल्य कार्यशाला , झुंझुनूं ; १२ अक्टूबर २०१४
राजकीय महाविद्यालय झुंझुनूं में १२ अक्टूबर २०१४ को जयपुर संभाग के प्रतिभागियों की एक कार्यशाला आयोजित की गयी ! इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ ग्यारसीलाल जाट ने कहा कि आदिकाल से भारत धर्म, योग एवं सर्व मंगल कामना के कारण विश्व-गुरु की भूमिका निभाता रहा है ! उन्होंने सनातन परम्परा एवं यज्ञमयी संस्कृति को पुनः जीवन में उतारने की आवश्यकता पर बल दिया! कार्यशाला को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि डॉ दीपक शर्मा ने जीवन में शाश्वत मूल्यों की महत्ता पर और प्रकाश डालते हुए अपने अनुभवों के आधार पर बताया कि किस प्रकार हम जीवन में मूल्यों को अपनाकर न केवल अपना बल्कि समाज का भी उत्थान कर सकते है ! उन्होंने शिक्षक वर्ग का आह्वान किया कि वे शिक्षा के साथ शाश्वत मूल्यों को भी विद्यार्थियों तक पहुँचाने की पूरी कोशिश करें ! कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत प्राचार्य प्रो संतोष पांडे ने की ! उन्होंने भारतीय संस्कृति की विशिष्टताओं के बारे में विस्तार से चर्चा की एवं वासुधेव कुटुंबकम व अतिथि देवो भाव की परम्परा के द्वारा सर्वकल्याण की भावना की महत्ता बताई !
कार्यशाला में प्राचार्य डॉ पी के घायल, विभागीय अध्यक्ष रामवतार जाट, रुक्टा (राष्ट्रीय) के क्षेत्रीय सचिव डॉ चेतन जोशी ने भी अपने विचार रखे ! शाश्वत जीवन मूल्यों के विभिन्न पहलुओं पर डॉ योगिनाथ ओझा, डॉ वंदना, डॉ धनजय मिश्र, प्रो सुरेन्द्र सोनी एवं अन्य प्रतिभागियों ने चर्चा की ! सभी इस बात पर एकमत थे की मूल्यों की स्थापना से ही भारत का समग्र विकास हो सकता है !